राजनैतिक किराना स्टोर जैसा कि पुस्तक के नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह एक व्यग्यं संग्रह है । पुस्तक में कुल 52 व्यग्यं दर्शाये गये हैं जिनमे कोई भी व्यग्यं ऐसा नहीं जो हमे हंसने एवं लोट-पोट होने पर मजबूर न कर दे साथ ही हमारी अन्र्तआत्मा को भी झकझोरता है । पुस्तक की भाषा शैली एवं शब्द चयन बिल्कुल सामान्य एवं आम बोलचाल की भाषा है । समाज में व्याप्त प्रत्येक विषय पर लेखक ने व्यंग्य के माध्यम से गहरा प्रहार किया है । पुस्तक अपने आप में अद्भुत है । लेखक इसके पहले भी अखबारों एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अपनी कलम का जलवा विखेर चुके है । व्यग्ंय संग्रह निःसंदेह पठनीय है एवं एक सीख प्रदान करता है ।